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हवाईअड्डा: एक मीठी याद

हवायीअड्डे पर थे हम की वो बोले साहब भार थोड़ा ज़्यादा है,
निकाल दीजिए थोड़ी बहुत मिठाई , क्यूँ क्या इरादा है?
अब कौन समझाए उन्हें भार मिठाई का नहीं उनके प्यार का है,
ये तो मानो उनकी यादों का प्रतीक है जो हमारे साथ है और तरो ताज़ा है।
हम ने भी फिर औपचारिकता के नाते पूछ लिया की जनाब अब आप ही बताए क्या किया जाए ?
नम आँखें देख हमारी मानो उनके भी दिल में कुछ ख़याल आए।
अक्सर ऐसे हालात में लोगों को कुछ क़ीमत चुकानी पड़ती है,
पर प्यार भाँपा तो जा सकता है मगर नापा नहीं ये आपकी ख़ुशकिस्मती है।
जाइए ले जाइए अपनी यादें वक़्त मिला तो हमें भी याद करना ,
निकाल दिए जाएँगे नौकरी से हम बस इस क़िस्से का ज़िक्र मत करना।

- सूर्यांशु

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