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अनकही बातें
ऐ रात, सोने दे मुझे,
मेरे पास करने को कोई बात नहीं है।
चली जाएगी तू बस थोड़ी देर में,
ऐसे में,
मेरे पास तुझे देने को साथ नहीं है।
सुबह को पता चला अगर,
तेरे ज्यादा करीब हूँ मैं,
तो उससे रहा नहीं जाएगा।
वो न उठाएगी मुझे,
न मिलेगी मुझसे,
नाराज हो जाएगी,
पर उससे कहा नहीं जाएगा।
अच्छा, चल ठीक है,
बात है मेरे पास,
पर अभी नहीं फिर कभी आराम से बताऊंगा,
जब शब्द होंगे मेरे पास,
तब तुझे समझाऊंगा।
तब तक के लिए,
तू चाँद से बातें कर,
देख कितने तारे टिम टिमा रहे हैं,
और मैं सुबह का इंतज़ार करता हूँ,
काम काफी है,
रोज़मर्रा में घुलने का प्रयास करता हूँ।
ऐ रात, सोने दे मुझे,
अभी कुछ कहने के हालात नहीं है।
ऐ रात, तू फिक्र न कर,
अब ऐसी भी कोई बात नहीं है।
- सूर्यांशु
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