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यादों का जंगल

मना किया था ना वहाँ जाने को,
फिर भी तुम घूमने निकल गए?
रास्ता याद है तो क्या हुआ?
तुम हमेशा खो जाते हो,
वो यादों का जंगल है ही ऐसा,
मुझे समझ ही नहीं आता,
तुम भला वहाँ क्यों जाते हो?
नहीं है अब कोई फायदा,
जो है वो यहीं है,
जो था वो वहीं था,
उस जंगल में खोयी हुई चीजें,
आज तक किसी को मिली है क्या भला?
इतने बड़े हो गए हो,
तुम समझ क्यों नहीं पाते हो?
ऐसा क्या है जो अच्छा लगता है तुम्हें वहाँ,
लौटने पर खुश कभी नहीं देखा है तुम्हें मैंने,
दिख जाती है वो झूठी मुस्कान जो तुम ओढ़े आते हो।
जिस दिन मेरे सवाल का जवाब हो तुम्हारे पास,
बता देना,
कि तुम उस यादों के जंगल में क्यों जाते हो?

-सूर्यांशु

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